वस्ल जब मुमकिन नहीं... दिल रहे मचल तो क्या...

Image Courtesy : Google Images मैं जाऊ बदल तो क्या तुझे जाऊ गर मिल तो क्या... गिरा तेरी नजरो से अक्सर मगर जाऊ संभल तो क्या... ख्यालो में दखल तो क्या... तेरी हो पहल तो क्या.. वस्ल जब मुमकिन नहीं... दिल रहे मचल तो क्या... बारहा हलचल तो क्या... दिल उदास हर पल तो क्या.... लब पे तारी तबस्सुम तेरे हो.. मैं रहू भीगी ग़जल तो क्या... न हो कोई हल तो क्या... मुश्किल ये विकल तो क्या... गाहे-बगाहे मिलेंगे कही... गए सफ़र निकल तो क्या... आलोक मेहता...