हसीं अब हसीं.. और हसीं ..... लगता हैं....

एक बार लिखा था किसी के लिए कभी.....

"ख्वाबो ख्यालो में हसीं खूब लगता था... बहुत आम सा लगा रूबरू मिल जाना तेरा..."

मगर अब तुमसे मिल कर कहता हूँ....

"हर बार मिल कर इसके माने बदल देते हो.... हसीं अब हसीं.. और हसीं ..... लगता हैं.... "

...आलोक मेहता....

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