लम्हा जो भी गुजरा.. बेहद खूब गुजरा....

वक़्त गुजरा भी तो क्या खूब गुजरा...
कर सारे ही ख्वाब मंसूब गुजरा....

और क्या कहे क्या रही सोहबत तुम्हारी....
लम्हा जो भी गुजरा.. बेहद खूब गुजरा....

आलोक मेहता...

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