संदेश

दिसंबर, 2008 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जाने हवाओ का तेरे तस्सवुर से रिश्ता क्या हैं

चित्र
तेरे बारे जो सोचू.... तो महक ये उठती हैं जाने हवाओ का तेरे तस्सवुर से रिश्ता क्या हैं तू साथ हो तो लब जाने क्यों नहीं खुलते इसके तुझे कहने को दिल जाने ये सोचता क्या हैं... दर्द ग़म टूटे ख्वाब और चंद ख्वाहिशे अधूरी... तू न हो तो जिंदगी इन लफ्जों के सिवा क्या हैं... मैं जीता हूँ इस जहा सिर्फ उसका नजारा कर जो शक्स पूछे तू मुझमे देखता क्या हैं... औरो सा मुझे देखते तो..तू भी औरो से जुदा कहाँ मेरी आरजू तू बताये ... मुझमे अलग सा क्या हैं तू यार और कुछ न कर... ये मुश्किल फकत हल कर मेरी.. तुझसे जब नहीं बाकी... तेरी यादो से ये कुछ बाबस्ता क्या हैं... हर एक से नजदीकी रखे... आलोक वो शख्स कुछ ठीक नहीं... जाने क्या मतलब हो उसे... जाने वो तुझसे चाहता क्या हैं... आलोक मेहता... tere bare sochta hu to mehak ye uthti hain... jane hawao ka tere tasavur se rishta kya hain. tu sath ho to lab jane kyu nahi khulte iske.... tujhe kehne ko dil jane ye sochta kya hain.. dard, gham, tute khwab, adhuri khwahishe... tu na ho to jindagi in lafzo ke siwa kya hain... main jeeta hu is jaha mein sirf uska najara kar..