संदेश

फ़रवरी, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Yu jaise..... kal hi ki baat ho…

कितना वक़्त हुआ... तुमसे मिले हुए.. मुद्दत सी.. लगती हैं.. फिर भी.. जेहन में ताज़ी हैं... यूँ जैसे... कल ही की बात हो... नहीं... तेरी मखमली उंगलियाँ हैं जैसे... अब तक मेरे इन हाथो में... किस तरह हौसला देते हुएं.. मेरी हथेलियों पर.. तेरी उंगलियों की पकड़ मजबूत हो जाया करती थी... तेरी नजर अभी भी मेरे चेहरे पर ही.. कही ठहरी हुई हैं... यही वजह हैं जो अब तक रोशन हूँ मैं.. जहाँ मिलते थे कभी हम... वहां जाता हूँ ...तो तुम अक्सर मिल जाती हो.. मुझे छेडती...मुझसे अठखेलियाँ करती हुई.. देखता ही रह जाता हूँ शुन्य में अपलक... जब कभी कहता हूँ "ठीक हूँ मैं " किसी के पूछने पर... तुम जैसे कही से कह पड़ती हो.. "सच बताओ " जब टहलता हूँ यूहीं जब राहो में.. तुम बहुत दूर तक साथ चलती हो मेरे... और फिर वो चले भी जाना मेरे फैसले पर तेरा आंसुओ को मुझसे छुपाते हुए और मेरा कह पड़ना. "कि भूल जाना मुझे क्यूकी मैं तुम्हे हरगिज़ याद ना रखूँगा " उफ़... सच.. यकीं नहीं होता... कितना वक़्त हुआ तुमसे मिले हुए... मुद्दत सी बीती लगती हैं... मगर फिर भी... जेहन में ताज़ा हैं तू इस तरह... यूँ लगता

पल बना रहा.. बात.... चलती रही..

चंद पलों का साथ था चंद पलों की बात थी... जिंदगी गुजर गयी...... पल बना रहा.. बात.... चलती रही...