दिल को अब भी कुछ याद आता हैं.. तन्हाई में कोई कुछ गुनगुनाता हैं... दस्तक सी कोई देता हैं किवाड़ो पर.. गली के नुक्कड़ से कोई बुलाता है... आँखों से सपने गुजरते हैं... या... ख्वाब कोई हकीकत हुआ जाता हैं... मिलने को मचल पड़ती हैं धड़कने दिल अब भी तेरे लिए रूठ जाता हैं... पैर पटक.. लोटता हैं जमीन पर.... सर झटक नाराजगी जताता हैं... बरस पड़ते हैं फिर नैना यूँ ही....कि तेरा अक्स अब भी.. खूब रुलाता हैं.... आलोक मेहता....