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चल आलोक चल इश्क लड़ाए

चल आलोक चल इश्क लड़ाए प्यार की कुछ हम पींग बढाए कि कब तक यु ही छड़ा रहेगा तन्हा मुंह औंधे पड़ा रहेगा चल कर जतन तन्हाई मिटाए चल आलोक चल इश्क लड़ाए ढूंढे कोई कन्या जो तुझपे रीझे सपनो के तुझ संग बीज जो बीजे बात मन की किसी कन्या को चल दिए बताये चल आलोक चल इश्क लड़ाए कोल्हू के बैल सा काम में जुटा हैं मन का सकल देख संसार लुटा हैं काम काम कर काहे सगरे दिन बिताये चल आलोक चल इश्क लड़ाए रात रात जग तारे गिनता हैं दिन में सोता सपने चुनता हैं रात दिन में टोटल कन्फुजियाये चल आलोक चल इश्क लड़ाए बहुत हुआ अब ये रोना धोना छोड़ अँधेरे मन का ये कोना ख़ुशी ख़ुशी दो बोल ले बतियाये चल आलोक, चल न,,, इश्क लड़ाए... ... आलोक मेहता..

परवाज उसे ही मिलती हैं जो कटी पतंग बदलता हैं

कुछ लोग जब मिलते हैं तो मौसम रंग बदलता हैं सूरज पश्चिम से निकलता हैं अपने ढंग बदलता हैं दिशाए बदल जाती हैं एक मोड़ से इन राहो की सफ़र बदल जाता हैं जब राही "संग" बदलता हैं भूख लाचारी के मुद्दे तज जब फिजूल बातें करते हैं देश बदल जाते हैं जब हुक्मरान जंग बदलता हैं सपनो के फुग्गे* फूटे जो ऐ दिल तू उनका मोह न कर परवाज उसे ही मिलती हैं जो कटी पतंग बदलता हैं सोने चांदी में न तोल बंदगी खुदा की "आलोक" प्यार की निगाह एक पर, वो मलंग बदलता हैं ... आलोक मेहता.. *फुग्गे = गुब्बारे

ख्वाहिशो के मुताबिक ऐ दिल अब हौसला करना

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Image Courtesy : Google Images औरो से नहीं खुद से ही आगे बढ़ना होगा सफ़र ये मुकम्मल कर गुजरना होगा हालात लाख दुश्वार रहे हैं माजी में माना शिकस्त से नयी राह ले जीत को बढ़ना होगा अपने ही दायरे से निकल उभरना होगा बेइन्तहा भरोसा खुद पे करना होगा हौसलों के मुताबिक तो ख्वाहिशे खूब ही चुना की.. ख्वाहिशो के मुताबिक ऐ दिल अब हौसला करना होगा