चल आलोक चल इश्क लड़ाए
चल आलोक चल इश्क लड़ाए
प्यार की कुछ हम पींग बढाए
कि कब तक यु ही छड़ा रहेगा
तन्हा मुंह औंधे पड़ा रहेगा
चल कर जतन तन्हाई मिटाए
चल आलोक चल इश्क लड़ाए
ढूंढे कोई कन्या जो तुझपे रीझे
सपनो के तुझ संग बीज जो बीजे
बात मन की किसी कन्या को चल दिए बताये
चल आलोक चल इश्क लड़ाए
कोल्हू के बैल सा काम में जुटा हैं
मन का सकल देख संसार लुटा हैं
काम काम कर काहे सगरे दिन बिताये
चल आलोक चल इश्क लड़ाए
रात रात जग तारे गिनता हैं
दिन में सोता सपने चुनता हैं
रात दिन में टोटल कन्फुजियाये
चल आलोक चल इश्क लड़ाए
बहुत हुआ अब ये रोना धोना
छोड़ अँधेरे मन का ये कोना
ख़ुशी ख़ुशी दो बोल ले बतियाये
चल आलोक, चल न,,, इश्क लड़ाए...
... आलोक मेहता..
प्यार की कुछ हम पींग बढाए
कि कब तक यु ही छड़ा रहेगा
तन्हा मुंह औंधे पड़ा रहेगा
चल कर जतन तन्हाई मिटाए
चल आलोक चल इश्क लड़ाए
ढूंढे कोई कन्या जो तुझपे रीझे
सपनो के तुझ संग बीज जो बीजे
बात मन की किसी कन्या को चल दिए बताये
चल आलोक चल इश्क लड़ाए
कोल्हू के बैल सा काम में जुटा हैं
मन का सकल देख संसार लुटा हैं
काम काम कर काहे सगरे दिन बिताये
चल आलोक चल इश्क लड़ाए
रात रात जग तारे गिनता हैं
दिन में सोता सपने चुनता हैं
रात दिन में टोटल कन्फुजियाये
चल आलोक चल इश्क लड़ाए
बहुत हुआ अब ये रोना धोना
छोड़ अँधेरे मन का ये कोना
ख़ुशी ख़ुशी दो बोल ले बतियाये
चल आलोक, चल न,,, इश्क लड़ाए...
... आलोक मेहता..
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें