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फकत चेहरों की नुमाइश हैं...

इक तलाश जारी हैं... नजर एक पैमाइश हैं.... अभी तलक न मिली मुझे जिस शख्स की ख्वाहिश हैं... कैसे ढूँढू.. क्या करू... तदबीरो की आजमाइश हैं... सीरत पे भारी सूरत यहाँ... अजब ये रवाइश हैं... "आलोक" रूह यहाँ कहाँ... चेहरों की नुमाइश हैं... आलोक मेहता...

रिश्ते ये नरमियों वाले...

तल्खी पे ख़त्म क्यों होते हैं.. रिश्ते ये नरमियों वाले... आलोक मेहता...

रूह की रुसवाई तो होनी थी.. और बस होनी थी....

यूँ तो बदलता रहा... जिस्म लिबास दर लिबास... रूह की रुसवाई तो होनी थी.. और बस होनी थी.... आलोक मेहता...

जब नहीं था तब भी.. और जब था तब भी...

हर सिम्त जिंदगी मुझे उसकी ही तलाश रही... जब नहीं था तब भी.. और जब था तब भी... आलोक मेहता...

फिर क्यों न याद रहा कुछ बेवफाई के सिवा....

और भी बहुत था रिश्ते में.. बेवफाई के सिवा..... फिर क्यों न याद रहा कुछ बेवफाई के सिवा.... ...आलोक मेहता...

जो लबो पे आ नहीं सकते.. जेहन से जा नहीं सकते...

रिश्ते के अपने माने.. सवाल.. बस .. चंद सवाल ही हैं... जो लबो पे आ नहीं सकते.. जेहन से जा नहीं सकते... आलोक मेहता...

दुआ-सलाम कर लौटने का.... फिर न रस्ता रखना...

यक-ब-यक ही जाना ..जब जाना तुम.. जिंदगी से मेरी... दुआ-सलाम कर लौटने का.... फिर न रस्ता रखना... आलोक मेहता...