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अप्रैल, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तू नहीं सही.. तेरे संग फिर भी जिंदगी बसर करूँगा मैं....

रह रह कर तेरी और बढ़ पड़ते हैं कदम मेरे... मेरी उम्मीद से जुदा, तेरे नक्श मुझमे बाकी हैं ऐ सनम मेरे तू कही मौजूद हैं मेरी तन्हाई की गुरुर में मेरे अकेलेपन क दंभ में, मेरे अहं के सुरूर में दावा था मेरा की...तू.. मुझमे शामिल न होगा... तेरा कोई भी ख्याल...किसी सूरत... मुझमे दाखिल न होगा... मेरे दिल-ओ-दिवार के दरवाजे... इस तरह बंद होंगे पहरे रहेंगे तमाम, तेरी नफरत के पाबंद होंगे मगर फिर किस तरह.. तू मुझमे जीता हैं... किस तरह हारा हूँ मैं... और तू किस तरह जीता हैं... क्यों तुझे पाने की आरजू अब भी उठती हैं... क्या हैं वजह.. धड़कन बन तू अब भी दिल में धडकती हैं.... साँसे किस तरह तेरे नाम से चढ़ती उतरती हैं... बेचैनिया तेरे ख्याल से अब भी क्यों बढती हैं... कैसा भ्रम था मेरे कि... तुझे भुला दूंगा मैं... बचपना था कि तेरा.. हर नक्श मिटा दूंगा मैं.... जहन में ताज़ा हैं... तेरे साथ का लम्हा हर... तेरे संग याद हैं बस... भूला वो मिलो का सफ़र... मंजिलो का पता नहीं... राह कि ना कोई फ़िक्र... गैरों कि न बात कोई... न कोई अपनों का जिक्र.

सच..ख्वाब इस हकीकत से कही बेहतर थे...

तादाद में भले ही कमतर थे ख्वाब इस हकीकत से बेहतर थे... उम्मीदों की जमी बंजर ही रही... फिर न फले जो हौसलों क शजर थे उम्र भर किया इन्तजार जिनका.. पल वो ख्यालो से बेहद सिफ़र थे... वो मिलेगा...सोचा...तकदीरे बदलेगी... वो मिला..तो भी.... दर बदर थे... उसके मुताबिक मंजिले चुनते गए... वो गया तो लगा 'अजनबी सफ़र' थे... सच न होते... तो ताउम्र साथ तो रहते... सच..ख्वाब इस हकीकत से कही बेहतर थे... ...आलोक मेहता... taadad mein bhale hi kamtar the khwab is hakikat se behtar the... umeedo ki jami banjar hi rahi... phr na phale hauslo k jo shajar the.. umr bhar kiya intjaar jinka.... pal wo khyalo se sifar the... wo milega... socha... takdeere badlegi... wo mila... to bhi... dar badar the... uske mutabik manjile chunte gaye.. wo gaya to laga..'ajnabi safar' the... sach na hote..to taumr sath to rehte... sach... khwab is hakikat se kahi behtar the... ..aalok mehta...

बेहद आम सा लगा रूबरू मिल जाना तेरा...

ऐसे आने से तो बेहतर था.... ना आना तेरा.. जिस्म तो हैं... तेरी रूह को तरसे ये दीवाना तेरा ... तयशुदा मुलाकातों में वो बात नहीं मिलती.. क्या खूब था राहो में यू ही मिल जाना तेरा... हर दफा मिलने पर हैं नये ही रंग हैं दिखाती... जान ले लेता हैं खिजाना तो कभी रिझाना तेरा हर बार मेरी कोशिश दुरिया ये मिट जाए अपनी... और हर बार बामक्सद... ये फासले बढ़ाना तेरा... परी कथा सा था हसी ये ख्वाबो खयालो में... बेहद आम सा लगा रूबरू मिल जाना तेरा... मेरे साथ हो कर भी हैं ज़माने की बातें... यू इशारो इशारो में ये दिल को जलाना तेरा... आलोक वो न मिली.. तजुर्बा ये खूब रहा फिर भी.... किसी बहाने सही.... उससे जुडा तो ये अफसाना तेरा.... ....आलोक मेहता... Aise aane se to… behtar tha, naa aana tera…. Jism to hain.. teri rooh ko tarse diwana tera… Tayshuda mulakato mein wo baat nahi milti…. Kya khub tha raaho mein yu hi mil jana tera Har dafa milne par naye hi rang hain dikhte …. Jaan le leta hain khijana to kabhi rijhana tera Har baar meri koshish ki duria ye mit jaaye apni… Aur har baar bamaksad ye faasle badhana tera

जो भी हुआ हो बुरा इस जिंदगी मेरी ...तुझ पर कोई इल्जाम मेरा नहीं...

सारा जहाँ कहने को तेरी ही पनाह...घर ये तेरा सही ऐ खुदा.... तू गर हैं भी तो.. तुझसे वास्ता मेरा नहीं... न करम से तेरे कोई वास्ता... न तेरे कोई कहर का ही खौफ.... मेरी हार हो मेरी हार... जीत में मेरी कोई साझा तेरा नहीं .... गर नेमते हैं तेरे बस में अता करना..तो जरुरतमंदो को दे देना तू.... मैं खुश अपने हौसलों के चलते.... करना कभी मुझसे इसे जुदा नहीं... न कभी देखा तुझे.... न कोई वस्ल का कोई राफ्ता ही हुआ.... सारा जहाँ माना किया तुझे.... कहा तू ये किसी को पता नहीं.... अपनी सहूलियतो के लिए...तेरे दर पे तेरा कारोबार होता हैं... गर सारा जहाँ चलता तेरे दम पे....क्यों तू इससे बचा नहीं... मजलूमों पे जुल्म होते हैं... तेरे ही ठेकेदारों के हाथो... तेरे ही नाम के चलते.... तू बन गया अब फकत अमीरों का.... मुफलिसी में शायद तेरा बसर अब रहा नहीं... फिर भी आलोक को नहीं मंजूर... दुनिया की तरह तुझ पर ही लगा दे वो.... जो भी हुआ हो बुरा इस जिंदगी मेरी ...तुझ पर कोई इल्जाम मेरा नहीं... ....आलोक मेहता...

रूहों से जुदा...इंसानों से वास्ता हैं..

गर तुम कहो कि अलग अलग हैं... जो हमारा खुदा हैं... मैं कहूँगा मंजिल हैं एक.. बस अपना यार, रस्ता... जुदा हैं.... गर तुम कहोगे फर्क हैं इंसानों में... जो मजहब ने बनाये हैं.... मैं कहूँगा फूल हैं सब इक गुलसिता के...बस रंग, जुदा हैं... गर तुम कहोगे अपना धर्म छोड़ मेरा अपनाओगे तुमे... मैं कहूँगा.. तेरी हैं पहचान ये.. संभाल रख इसे जो तुझमे, छुपा हैं... गर तुम कहोगे... किसने पाया खुदा को.. वो शायद हकीकत नहीं... मैं कहूँगा... तलाश मेरी जारी रहेगी.. पाने को उसको, जो... गुमशुदा हैं... गर तुम कहोगे कि... कर्मकांड, प्रार्थना नमाजो में पा लिया उसको... मैं कहूँगा... किसी मजलूम के आंसुओ में देखो... वो अब भी, पोशीदा हैं... गर तुम कहोगे "आलोक" हैं नास्तिक कही या फिर काफिर ही हैं वो... मैं कहूँगा.. उसका अलग ही फलसफा... रूहों से जुदा...इंसानों से वास्ता हैं.. ....आलोक मेहता....

But something in my heart did whispher, "ME TOO"

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may be that's how it should have been......

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itne bhi karib na aa..ki..deewane ho jaaye....

फासले थोड़े रह जाए... तो ही... गनीमत हैं.... इतने भी करीब न आ....की दीवाने हो जाए.... ...आलोक मेहता... faasle thode reh jaaye... to hi... ganimat hain... itne bhi karib na aa.... ki...deewane ho jaaye... ....aalok mehta....

फिर क्यू हैं गरूर, गर मैं नहीं तो , तू भी खुदा तो नहीं

तेरी हस्ती के मानी ऐ यार कोई मुझसे जुदा तो नहीं फिर क्यू हैं गरूर, गर मैं नहीं तो , तू भी खुदा तो नहीं यु एक से रहते नहीं उम्र भर कि yaar बदल जाया करते हैं... चलन यही हैं दुनिया mein, राज कोई तुझसे छुपा तो नहीं मैं तो नहीं kehta kabhi कि मुझसे आ मिल जाया कर... क्यों हैं फिर शर्मिंदा.... बेवफाई इस जहाँ कोई गुनाह तो नहीं क्यों देखू खवाब कि जब एक भी परवान nahi chadhta यहाँ आखिर दिल ही तो हैं mera... koi tute ख्वाबो कि कब्रगाह तो नहीं एक अरसा हुआ कि उसका ख्याल न आया इस जेहन में मेरे... ae दिल इस मेरे अफ़साने, कही खुद मैं ही तो बेवफा नहीं... आलोक रहने ही दे यार तू यूँ मिलन-ओ-करार कि बातें... हकीकत ही अब बयां कर कुछ ...खवाबो-ओ-खयालो कि दास्ताँ नहीं ********************************************************* teri hasti ke maani ae yaar koi mujhse juda to nahi phir q hain garur, gar main nahi to, tu bhi khuda to nahi yu ek se rehte nahi umr bhar ki log badal jaaya karte hain chalan yahi hain dunia mein, raaj koi tujhse chupa to nahi main to nahi kehta kabhi ki mujhse aa mil jaaya kar... q