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हर पल हैं उम्मीद... हर लम्हा एक 'काश' हैं..

जीवन एक निरंतर सफ़र .. एक तलाश हैं. हर पल हैं उम्मीद... हर लम्हा एक 'काश' हैं.. ..आलोक मेहता...

तेरा नुकसान न होने दूंगा... जाये जो मेरा नफा जाता हैं....

जब अँधेरा स्याह गहरा जाता हैं... तेरा नाम जुबा पर आ जाता हैं... अब भी बहारें खिल उठती हैं... चमन में जब तू छा जाता हैं... तेरी क्या वो तो तू ही जाने मेरी भी तू ही बता जाता हैं... मंजर-ऐ-दिल बंजर हो जब आँखों से कुछ बहा जाता हैं... उल्फत का बोसा कैसे निगले... नफरत जो रोज चबा जाता हैं.. तेरा नुकसान न होने दूंगा... जाये जो मेरा नफा जाता हैं.... आलोक दिल में वो अब हैं... जो दिल से चला जाता हैं... ...आलोक मेहता....