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सितंबर, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

खो जाए तो फिर हासिल... ये सौगात नहीं होती

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[image courtesy : google images] खो जाए तो फिर हासिल... ये सौगात नहीं होती इश्क अंजाम को आए तो फिर शुरुआत नहीं होती... कभी होती थी सिर्फ एक उसकी ही बात... अब बस एक उसकी ही बात नहीं होती... सामने पड़ जाए तो राहे मैं बदल दूँ... चंद कदम भी अब वो साथ नहीं होती... बारहा नाकाम हैं कोशिशे दूर रहने की. नहीं कोई मोड़..जहा मुलाक़ात नहीं होती... मिल गया कोई.. कोई फिर हैं साथ उसके... पहले सी मोहब्बत हासिल हजरात नहीं होती.. आलोक उल्फत गयी..मगर कोई तो खुश हैं.... मुझ सी सिसकती उसकी कोई रात नहीं होती... ..आलोक मेहता...

'गुमनामियाँ' इक दिन.. उसकी 'शौहरत' होगी...

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[image courtesy : google images] ज़माने संभाल रख.. कि.. फिर जरुरत होगी.. मैं उठूँगा .. तो फिर.. गिराने की हसरत होगी... ये हौसला न चुकेगा... रहेगा यु ही ताउम्र... जाएगा जब जां... जिस्म से रुखसत होगी.. लौट आया हैं.. या.. फिर हैं कोई शगल उसका... फलेगी या...फिर इक दफा रुसवा मोहब्बत होगी... रोकना क्या.. धीमा तक न मुझे कर पाएगी... टकराए मुझसे.. क्या... कूबत-ऐ-क़यामत होगी... वास्ता क्या... 'आलोक' को रंगीनियो से तेरी... 'गुमनामियाँ' इक दिन.. उसकी 'शौहरत' होगी... ...आलोक मेहता...

कि.. जब साथ हो कोई... और 'साथ' न हो..

दिल में एहसास.. जेहन में जज़्बात न हो... लब खुले.. मगर.. कहने को कोई बात न हो... किस तरह वो वक़त-ऐ-वस्ल गुजरे.. ऐ रब... कि.. जब साथ हो कोई... और 'साथ' न हो... आलोक मेहता....

अभी तो मंजिले बेहिसाब हैं....

जिसे तुम मंजिल कहते हो... वो तो सिर्फ एक पडाव हैं.... कई हैं सफ़र फेरहिस्त में... अभी तो मंजिले बेहिसाब हैं.... आलोक मेहता...

खवाब गिर पड़े कुछ .. उठा लो यारो...

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Image courtesy : Google Images बिगड़ता हैं समां..तल्खी से... संभालो यारो... लहजे में अदब की चाशनी बसा लो यारो.. तू मेरी सुन.. मैं तेरी पे कान धरता हूँ... गुफ्तगू की अब सूरत बना लो यारो... शिकायत से नहीं... मसले हल होंगे शिरकत से नुक्स छोड़ कुछ नुस्खे निकालो यारो... ठोकर जो लगी ..तो भूल न जाना इन्हें... खवाब गिर पड़े कुछ .. उठा लो यारो... बहुत लाजमी रहा... तुम्हारा गुस्सा मुझ पे... मगर अब गले से लगा लो यारो... 'आलोक' बहुत हुआ... बस, अब और नहीं.... जीने को खुद में... जज्बा जगा लो यारो ...आलोक मेहता... 02.09.2011.. 8.15 PM

इन्टरनेट चैट लिस्ट

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नाम.. लोग.. चेहरे... कितने नजर आते हैं.. सुचना क्रांति के संवाहक..इस इन्टरनेट पे... फेसबुक की चैट लिस्ट में या गूगल टॉक पे कुछ available... कुछ बिजी ... और कुछ यु ही ... idle .. अलग अलग status मेसेज के साथ आपको खुद से बात करने का निमंत्रण देते हुए शहर की भीड़ में तनहा कर दिए गए आपके वजूद को एक झूठा दिलासा सा देते हुए या फिर यू कहे आपको एक तरह से चिढाते हुए... कि कोई हक नहीं हैं तुम्हे तनहा महसूस करने का जबकि एक क्षण भी तुम्हे तन्हाई का एक मौका भी नसीब नहीं और घबरा कर.. हिचकिचा कर आप चाहते हैं .. कि किसी से बात करे और करते भी हैं और विडंबना हैं कि बातें ही होती भी हैं कोरी बातें.... जो आपको जुखाम में instant coffee जैसी थोड़ी राहत तो देती हैं.... मगर माँ के अदरक के काढ़े जैसा स्थायी आराम नहीं... वैसे कई रिश्ते भी बन जाते हैं "can we be फ्रेंड?" से तरक्की कर कुछ तो "will u marry me ?" तक भी पहुच जाते हैं... तो कुछ की रियल लाइफ relationship भी बस net buddies तक ही सीमित रह जाती हैं... मिलो दूर बैठे लोगो की छोटी छोटी