'गुमनामियाँ' इक दिन.. उसकी 'शौहरत' होगी...


[image courtesy : google images]


ज़माने संभाल रख.. कि.. फिर जरुरत होगी..
मैं उठूँगा .. तो फिर.. गिराने की हसरत होगी...

ये हौसला न चुकेगा... रहेगा यु ही ताउम्र...
जाएगा जब जां... जिस्म से रुखसत होगी..

लौट आया हैं.. या.. फिर हैं कोई शगल उसका...
फलेगी या...फिर इक दफा रुसवा मोहब्बत होगी...

रोकना क्या.. धीमा तक न मुझे कर पाएगी...
टकराए मुझसे.. क्या... कूबत-ऐ-क़यामत होगी...

वास्ता क्या... 'आलोक' को रंगीनियो से तेरी...
'गुमनामियाँ' इक दिन.. उसकी 'शौहरत' होगी...

...आलोक मेहता...

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

gham ka maara hu main... bhid se ghabraata hu...

मेथी के बीज