"आलोक" दीदार बस देकर वो मर्ज बढ़ा देते हैं..
दिल्लगी में मेरी हर बात उड़ा देते हैं
हर शिकायत पे वो बस मुस्कुरा देते हैं
गुफ्तगू-ऐ-दिल इस तरह होती हैं
पलकें होले से बस झुका देते हैं
आईने पाबंद हैं उसकी खूबसूरती के यूँ...
यक-ब-यक उसका अक्स दिखा देते हैं
हैं नहीं इनकार शौक-ऐ-उफ्लत से उनको ...
खवाबो में आ-आकर वो जता देते हैं...
उनके लिए फकत अठखेलियाँ ही हैं
सदके जो अपने जिंदगी करा देते हैं...
तिमारदारी ठहरी जिस रोज से सर उनके
"आलोक" दीदार बस देकर वो मर्ज बढ़ा देते हैं...
हर शिकायत पे वो बस मुस्कुरा देते हैं
गुफ्तगू-ऐ-दिल इस तरह होती हैं
पलकें होले से बस झुका देते हैं
आईने पाबंद हैं उसकी खूबसूरती के यूँ...
यक-ब-यक उसका अक्स दिखा देते हैं
हैं नहीं इनकार शौक-ऐ-उफ्लत से उनको ...
खवाबो में आ-आकर वो जता देते हैं...
उनके लिए फकत अठखेलियाँ ही हैं
सदके जो अपने जिंदगी करा देते हैं...
तिमारदारी ठहरी जिस रोज से सर उनके
"आलोक" दीदार बस देकर वो मर्ज बढ़ा देते हैं...
subhaan allah !!!
जवाब देंहटाएंBahut khoob... Loved it...
Shukriya Yogesh
जवाब देंहटाएंevery word of you ... reflects my feelings, my emotions
जवाब देंहटाएंamazing simply wonderfulllll