फासले ये अब कम न होंगे.. और ये गहराएंगे..


उसके गुरुर, मेरे अहं से कहाँ आगे बढ़ पाएंगे....
फासले ये अब कम न होंगे.. और ये गहराएंगे..

... आलोक मेहता...

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