सच कहना... इसीलिए खुद को भुलाने की कसम दी थी ना

तुझे था अंदाजा कि तेरी याद बेहद बुरी गुजरेगी मुझ पर
भांप लिया था .. कि ये तनहाई.. मुझे कही का न छोड़ेगी..

सच कहना... इसीलिए खुद को भुलाने की कसम दी थी ना.....

...आलोक मेहता....

tujhe tha andaaja ki teri yaad behad buri gujregi mujh par...
bhanp liya tha... ki ye tanhaai.. mujhe kahi ka na chodegi ....

sach kehna isiliye khud ko bhulane ki kasam di thi naa......

aalok mehta...

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेथी के बीज

हसीं अब हसीं.. और हसीं ..... लगता हैं....