तू नहीं मेरे ख्वाबों जैसी...
तू नहीं मेरे ख्वाबों जैसी...
चेहरे के नक्श जुदा हैं....
लब से जो गिरे वो लफ्ज़ जुदा हैं...
कदकाठी... सीरत सब अलग हैं ...
कुछ भी तो नहीं.. जो मिलता हो उस'से
तू नहीं मेरे ख्वाबों सी....
फिर भी कुछ अपनी सी लगती हैं....
तेरी आवाज़ की खनक भाती हैं कानो को...
नजरो से तेरी पहचान भली लगती हैं...
जानता हूँ की शायद न फलेगा ये...
रिश्ता मगर तुझसे जोड़े जाता हूँ
जब साथ होती हैं... तो तुझसे जुड़ जाता हूँ...
तन्हाई में तुझे उस'से मिलाता हिचकिचाता हूँ...
क्युकी नहीं तू मेरे ख्वाबों जैसी...
क्या जाने क्या वजह हैं...
जो तू अब भी.. मेरे जेहन में हैं...
दिल कहता हैं...
तू तो नहीं थी उसकी ख्वाइश...
फिर दिल को क्यों फुसलाता हु...
डरता हूँ... खुद से... अपने ही फैसले से....
क्यूंकि तू नहीं मेरे ख्वाबों जैसी..
मगर.... फिर भी.. अपनी सी लगती हैं.....
...आलोक मेहता...
चेहरे के नक्श जुदा हैं....
लब से जो गिरे वो लफ्ज़ जुदा हैं...
कदकाठी... सीरत सब अलग हैं ...
कुछ भी तो नहीं.. जो मिलता हो उस'से
तू नहीं मेरे ख्वाबों सी....
फिर भी कुछ अपनी सी लगती हैं....
तेरी आवाज़ की खनक भाती हैं कानो को...
नजरो से तेरी पहचान भली लगती हैं...
जानता हूँ की शायद न फलेगा ये...
रिश्ता मगर तुझसे जोड़े जाता हूँ
जब साथ होती हैं... तो तुझसे जुड़ जाता हूँ...
तन्हाई में तुझे उस'से मिलाता हिचकिचाता हूँ...
क्युकी नहीं तू मेरे ख्वाबों जैसी...
क्या जाने क्या वजह हैं...
जो तू अब भी.. मेरे जेहन में हैं...
दिल कहता हैं...
तू तो नहीं थी उसकी ख्वाइश...
फिर दिल को क्यों फुसलाता हु...
डरता हूँ... खुद से... अपने ही फैसले से....
क्यूंकि तू नहीं मेरे ख्वाबों जैसी..
मगर.... फिर भी.. अपनी सी लगती हैं.....
...आलोक मेहता...
lajawab...
जवाब देंहटाएंshukriya... Shilpa ji...
जवाब देंहटाएंgreat...waah waah poet alok ji
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