जिंदगी नए सफ़र निकल गयी हैं.
जिंदगी एक नए सफ़र पे जा रही हैं... रोज कुछ नए मोड़ आ रहे हैं.. ऐसे में ख़ुशी भी और कुछ खुद को साबित कर जाने का जूनून भी हैं तो साथ ही आने वाले कल को लेकर कुछ डर... कुछ संशय भी हैं... इन्ही बातो को सोचते ये रचना लिखी गयी... ये रचना से ज्यादा दिल से निकली कुछ बातें हैं.. जो आप लोगो से बांटनी चाही...
(p .s . इस जनवरी में मैं सनदी लेखाकार मतलब.. chartered accountant बन गया... :) )
रफ़्तार इन पलों की बढ़ गयी हैं...
जिंदगी नए सफ़र निकल गयी हैं..
सपने यू तो निगाहों में कई हैं...
राहे अनजानी मगर मिल गयी हैं...
शुबहा हैं... कुछ कदमो की बेकली हैं.
मुश्किलों की भी कुछ आहट मिली हैं...
वक़्त लगेगा मगर ढाल लूँगा खुद को
ये जो नए सांचे जिंदगी ढली हैं.....
दौड़ में सिर्फ बने ही नहीं रह जाऊंगा
जीत के फिर एक दफा.... मैं दिखाऊंगा ...
लड़ाई के कायदों से अभी अनजान सही...
तमाम कायदे एक दिन बदल जाऊंगा...
...आलोक मेहता..
(p .s . इस जनवरी में मैं सनदी लेखाकार मतलब.. chartered accountant बन गया... :) )
रफ़्तार इन पलों की बढ़ गयी हैं...
जिंदगी नए सफ़र निकल गयी हैं..
सपने यू तो निगाहों में कई हैं...
राहे अनजानी मगर मिल गयी हैं...
शुबहा हैं... कुछ कदमो की बेकली हैं.
मुश्किलों की भी कुछ आहट मिली हैं...
वक़्त लगेगा मगर ढाल लूँगा खुद को
ये जो नए सांचे जिंदगी ढली हैं.....
दौड़ में सिर्फ बने ही नहीं रह जाऊंगा
जीत के फिर एक दफा.... मैं दिखाऊंगा ...
लड़ाई के कायदों से अभी अनजान सही...
तमाम कायदे एक दिन बदल जाऊंगा...
...आलोक मेहता..
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