और तुम्हारे मरने की भी अभी तक कोई खबर नहीं आई हैं...
जाते वक़्त कितना तडपे थे हम
लगता था दुनिया बस
ख़त्म हो रही हैं....
मुझे लगा था तुझसे दूर हो कर...
टूट जाऊंगा मैं...
साँस न ले पाउँगा...
दम घुट जाएगा...
आंखे बाहर को निकल आएगी.
ये कमबख्त दिल सिने में
सिकुड़ कर दफ़न हो जायेगा
आवाज निकलने कि आरजू
में भीतर ही घुट के रह जाएगी
और आखिर तड़प कर
दम तोड़ तुंगा मैं..
मगर प्यार के बाकी सब ख्यालो कि तरह
ये भी एक अजीब ही ख्याल था...
देखो मैं अभी भी जिन्दा हूँ
और तुम्हारे मरने की भी अभी तक
कोई खबर नहीं आई हैं...
...आलोक मेहता...
लगता था दुनिया बस
ख़त्म हो रही हैं....
मुझे लगा था तुझसे दूर हो कर...
टूट जाऊंगा मैं...
साँस न ले पाउँगा...
दम घुट जाएगा...
आंखे बाहर को निकल आएगी.
ये कमबख्त दिल सिने में
सिकुड़ कर दफ़न हो जायेगा
आवाज निकलने कि आरजू
में भीतर ही घुट के रह जाएगी
और आखिर तड़प कर
दम तोड़ तुंगा मैं..
मगर प्यार के बाकी सब ख्यालो कि तरह
ये भी एक अजीब ही ख्याल था...
देखो मैं अभी भी जिन्दा हूँ
और तुम्हारे मरने की भी अभी तक
कोई खबर नहीं आई हैं...
...आलोक मेहता...
बेहद खूबसूरती से मन के भाव लिखे हैं....बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंAfter reading this mujhe meri girlfriend ki yaad aa gayi
जवाब देंहटाएंmaine bhi kabhi yuhi ek poem(Gazal) likhi thi uske liye
Waqt hi hai lamha-der-lamha badal jayega
Ye jana pechna chera yadoo mein dhal jayega
Aur sach mein aaj who chera yaad benkar rah gaya
Sunil Dutt