इक शख्स... घिसा-पिटा... पुराना सा...

तेरे बाद कुछ न रहा... इस जीस्त... पहचाना सा...
बचा फकत इक शख्स... घिसा-पिटा... पुराना सा...

आलोक मेहता...

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gham ka maara hu main... bhid se ghabraata hu...

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