मुझे उसे ये बतलाना अच्छा लगता हैं....
यूँ तो उसे भी हैं मालुम.. उससे कितना प्यार हैं मुझे.. लेकिन...
मुझे बारहा जताना अच्छा लगता हैं...
वो इतराती हैं.. इठलाती हैं.. और फिर उसका शर्माना अच्छा लगता हैं....
कह ही दिया जाए ये कोई जरुरी तो नहीं हैं...
मगर कितनी हैं खास.. मुझे उसे ये बतलाना अच्छा लगता हैं....
आलोक मेहता..
मुझे बारहा जताना अच्छा लगता हैं...
वो इतराती हैं.. इठलाती हैं.. और फिर उसका शर्माना अच्छा लगता हैं....
कह ही दिया जाए ये कोई जरुरी तो नहीं हैं...
मगर कितनी हैं खास.. मुझे उसे ये बतलाना अच्छा लगता हैं....
आलोक मेहता..
वाह! बहुत ही खुबसूरत एह्स्ससो को पिरो दिया इन पंक्तियों में....
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया सुषमा जी...
जवाब देंहटाएंजरुरी होता है प्यार को लफ्जों में पिरोना
जवाब देंहटाएंकभी कभी ऑंखें समझती ही नहीं हैं
Sahi kaha Shephali ji...
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