खवाब गिर पड़े कुछ .. उठा लो यारो...

Image courtesy : Google Images


बिगड़ता हैं समां..तल्खी से... संभालो यारो...
लहजे में अदब की चाशनी बसा लो यारो..

तू मेरी सुन.. मैं तेरी पे कान धरता हूँ...
गुफ्तगू की अब सूरत बना लो यारो...

शिकायत से नहीं... मसले हल होंगे शिरकत से
नुक्स छोड़ कुछ नुस्खे निकालो यारो...

ठोकर जो लगी ..तो भूल न जाना इन्हें...
खवाब गिर पड़े कुछ .. उठा लो यारो...

बहुत लाजमी रहा... तुम्हारा गुस्सा मुझ पे...
मगर अब गले से लगा लो यारो...

'आलोक' बहुत हुआ... बस, अब और नहीं....
जीने को खुद में... जज्बा जगा लो यारो

...आलोक मेहता...


02.09.2011.. 8.15 PM

टिप्पणियाँ

  1. आलोक भाई. आपके अशआर अच्छे लगे.
    जैसे-
    क्या चाहता हूँ तुझसे.. गर... ज़रा भी मुझे अंदाजा होता...
    तो सच कहता हूँ... दरमियान फासला न इतना ज्यादा होता...

    बज़ा फरमाया तूने की.. हम अब भी एक घर में साथ रहते हैं...
    मगर ये किसने कहा.. कि, जिस्म साथ हो तो.. दरमियान फासले नहीं होते...

    वो इतराती हैं.. इठलाती हैं.. और फिर उसका शर्माना अच्छा लगता हैं....
    कह ही दिया जाए ये कोई जरुरी तो नहीं हैं...
    मगर कितनी हैं खास.. मुझे उसे ये बतलाना अच्छा लगता हैं....

    तेरे भी हिस्से थी तनहाइयाँ.
    ये फकत सजा... मेरी न थी...

    ईमानदारी से कहे अल्फाज़ जैसे कोई किसी अपने से गुफ्तगू कर रहा हो. बधाई.
    यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
    अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://no-bharat-ratna-to-sachin.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  2. Hey...it's a gr888 one...beautifully crafted...awesomely awesome..

    जवाब देंहटाएं
  3. शिकायत से नहीं... मसले हल होंगे शिरकत से
    नुक्स छोड़ कुछ नुस्खे निकालो यारो...

    बहुत जिंदादिल हें आपकी कलम ..आज पहली बार आने का मौका मिला हैं ...बहुत खूब ????? जवाब नहीं !

    जवाब देंहटाएं
  4. @ Sachin ji... Sachin ji aap aaye aur rachnao ko waqt evam sarahana di.. behad shukrgujaar hu...



    @ Hemant ji..... Thanks a lot for appreciating the creation buddy...


    @ Darshan Kaur ji... Aapka Swagat hain... Asha karta hu age bhi sath banaye rakhengi... aabhaar sweekar kare...

    जवाब देंहटाएं
  5. ठोकर जो लगी ..तो भूल न जाना इन्हें...
    खवाब गिर पड़े कुछ .. उठा लो यारो... waah

    जवाब देंहटाएं
  6. मैं तेरी बज़्म में फिर लौट के आऊंगा
    एक दिया तो अपनी महफ़िल में जला लो यारों

    :)

    जवाब देंहटाएं
  7. @ Anonymous.. Thanks a lot for the honor..

    @ Shephali ji..


    kisi shaam to bhulenge mere yaar rasta idhar ka...
    Yahi soch har shaam roshan kar lete hain ab hum...


    :)

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...

    जवाब देंहटाएं
  9. संभल कर चल ऐ जिंदगी ठोकरें बहुत है राह में
    बुझती हुई शमा है कोई चिराग तो जल लो यारों

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

gham ka maara hu main... bhid se ghabraata hu...

मेथी के बीज