वादा हैं..मेरा.. कि.. मैं नहीं हारूँगा...


[image courtesy : google images]


माना वक़्त नहीं.. और.. बाकी कई काम सही...
राह भी हैं.. लम्बी.. और.. ढलती ये शाम सही...
अंजाम से पहले ..खुद को.. ना ..नकारुंगा..
वादा हैं..मेरा.. कि.. मैं नहीं हारूँगा...

जीत के बनेंगी पायदान..चट्टानें मुश्किलों की ..
हिम्मतो से बदलूँगा..लकीरे इन हथेलियों की...
कि हस्ती.. अब अपनी..हर कीमत सवारूँगा
वादा हैं.. मेरा.. कि .. मैं नहीं हारूँगा...

चाहए कितनी ही स्याह.. मायूसी नजर आती हो...
हौसलों कि चांदनी चाहे.. मद्धम हुई जाती हो...
कर मजबूत खुद को.. वक़्त-ऐ-मुफलिसी गुजारूँगा...
वादा हैं .. मेरा.. कि.. मैं नहीं हारूँगा...

आफताब नहीं तो क्या..ऑंखें उम्मीद से रोशन हैं..
ज़माने को नहीं.. तो क्या.. मुझे भरोसा हरदम हैं...
पाउँगा मंजिल ख्वाबो की.. चाँद जमी उतारूंगा...
वादा हैं .. मेरा.. कि.. मैं नहीं हारूँगा...

हार हो या जीत..मेरी हस्ती कोई फर्क ना आ जायेगा
कि 'आलोक' हर हाल यार.. शख्स वही रह जाएगा...
इन फिजूल पैमाइशो पर अब.. खुद को ना उतारूंगा...
वादा हैं .. मेरा.. कि.. मैं नहीं हारूँगा...

आलोक मेहता..

[2009]

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

gham ka maara hu main... bhid se ghabraata hu...

मेथी के बीज