जिंदगी अब रह गयी... बस एक रोजगार....
एक नौकरीपेशा व्यक्ति की व्यथा...
अपनी की न फुर्सत... तेरी से क्या सरोकार..
जिंदगी अब रह गयी... बस एक रोजगार....
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गैर की हैं मंजिले.. गैर के रस्ते तैयार...
गैर की जंग लडू..ले गैर के हथियार...
आलोक मेहता...
अपनी की न फुर्सत... तेरी से क्या सरोकार..
जिंदगी अब रह गयी... बस एक रोजगार....
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गैर की हैं मंजिले.. गैर के रस्ते तैयार...
गैर की जंग लडू..ले गैर के हथियार...
आलोक मेहता...
waah
जवाब देंहटाएंbehad shukriya Rashmi Prabha ji....
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई ||
शुभ विजया ||
बहुत ही सुन्दर.... लाजवाब.,...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया .........लाजबाब
जवाब देंहटाएं@ Ravikar ji... Behad Shukriya...
जवाब देंहटाएं@ Sushma 'Aahuti' ji... Shukriya...
@ Anju (anu) Chaudhry... Aabhaar...