ढके जो बादल.. तो क्या आसमा नहीं??
ना सही तू मेरी दुनिया.. मेरी दास्तान जाहिर माना तेरा निशा नहीं...
मगर न दिखे तो सूरज नहीं.. ढके जो बादल.. तो क्या आसमा नहीं??
...आलोक मेहता...
मगर न दिखे तो सूरज नहीं.. ढके जो बादल.. तो क्या आसमा नहीं??
...आलोक मेहता...
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की अग्रिम शुभ कामनाएँ