फकत चेहरों की नुमाइश हैं...
इक तलाश जारी हैं...
नजर एक पैमाइश हैं....
अभी तलक न मिली मुझे
जिस शख्स की ख्वाहिश हैं...
कैसे ढूँढू.. क्या करू...
तदबीरो की आजमाइश हैं...
सीरत पे भारी सूरत यहाँ...
अजब ये रवाइश हैं...
"आलोक" रूह यहाँ कहाँ...
चेहरों की नुमाइश हैं...
आलोक मेहता...
नजर एक पैमाइश हैं....
अभी तलक न मिली मुझे
जिस शख्स की ख्वाहिश हैं...
कैसे ढूँढू.. क्या करू...
तदबीरो की आजमाइश हैं...
सीरत पे भारी सूरत यहाँ...
अजब ये रवाइश हैं...
"आलोक" रूह यहाँ कहाँ...
चेहरों की नुमाइश हैं...
आलोक मेहता...
गहरे और सुन्दर शब्द...इस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
बेहद शुक्रिया नीरज जी...
हटाएंआलोक मेहता...
बहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंhttp://madan-saxena.blogspot.in/
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