मैं चल पड़ता हूँ उन्ही रास्तो पर अक्सर....

मैं चल पड़ता हूँ, उन्ही रास्तो पर अक्सर....
जमाना बताता जिन्हें... हौसलों की जद में नहीं


होती हैं उन्ही मंजिलो की चाह ही मुझको
कही जाती हैं जो मेरे इरादों की हद में नहीं ...

किसी के सुझाये रास्तो पर चलना कब गवारा हुआ
बनी बनायीं राहो पर चलना अपनी तो फितरत नहीं

बढ़ पड़ते हैं अनछुई मंजिलो की जानिब कदम
जो पा लिए गए उन मकामो की कोई चाहत नहीं

हौसलों से पाया जो... जिंदगी का एक कतरा बहुत हैं
खैरात में मिले तो कुछ औकात-ऐ-जन्नत नहीं

अपनी ही कारगुजारियो से यार नाम हो काफी हैं
किसी और की शौहरत जाने की कोई हसरत नहीं

वादा कब किया था की अव्वल आ ही जाऊँगा
बूँद की कोशिश कर समंदर पाने की कोई गफलत नहीं

अपने दम पर जो मिली "आलोक" वो हार भी अनमोल हैं
किसी और के भरोसे जो मिले उस जीत की कोई कीमत नहीं

...आलोक मेहता ...

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

gham ka maara hu main... bhid se ghabraata hu...

मेथी के बीज