कभी बेधड़क दिल में घुस आये थे मेरे...

वो जो करते हैं अब.. हर बात का तकल्लुफ...
कभी बेधड़क दिल में घुस आये थे मेरे...

आलोक मेहता...

टिप्पणियाँ

  1. अल्फ़ाज़ोँ का ज़हीन होना आपकी लेखनी की सबसे बड़ी खासियत है जो आपकी शायरी को और भी ज्यादा खूबसूरत बना देती है बिल्कुल इस शायरी की तरह।

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  2. इतने अच्छे लफ्जों के लिए बेहद बेहद शुक्रिया स्नेहा...

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  3. Bahut sundar rachana hai:)

    Following you now.. Glad I discovered your blog:)

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  4. Behad shukriya Sonia ji... Thanks a lot for the words of appreciation and the pleasure is all mine.. :)

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