अभी तो मंजिले बेहिसाब हैं....

जिसे तुम मंजिल कहते हो...
वो तो सिर्फ एक पडाव हैं....
कई हैं सफ़र फेरहिस्त में...
अभी तो मंजिले बेहिसाब हैं....

आलोक मेहता...

टिप्पणियाँ

  1. वाह! आप हमेसा ही बहुत ही उम्दा लिखते है....

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  2. सही कहा अलोक जी
    अभी बहुत मंजिलें हैं

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  3. @ Sushma 'Aahuti' ji...


    Behad Shukriya Sushma ji...


    @ Shephali ji...

    Shukriya Shephali ji...

    जवाब देंहटाएं
  4. निराला अंदाज है....अलोक जी आनंद आया पढ़कर

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  5. Sakhi ji behad shukriya.. ummeed hain ki aakhiri baar ana nahi hua hoga aapka.. :)

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