कि.. जब साथ हो कोई... और 'साथ' न हो..

दिल में एहसास.. जेहन में जज़्बात न हो...
लब खुले.. मगर.. कहने को कोई बात न हो...
किस तरह वो वक़त-ऐ-वस्ल गुजरे.. ऐ रब...
कि.. जब साथ हो कोई... और 'साथ' न हो...


आलोक मेहता....

टिप्पणियाँ

  1. @ Rashmi Prabha ji.. Behad Shukriya..

    @ Sushma 'Aahuti ji'... behad shukriya

    @ Dr. Nidhi Tandaon ji... Shukriya...

    @ Sanjay Bhaskar ji... Aabhar Sweekar kare...

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  2. वक़्त ऐसा भी आएगा ये कभी सोचा न था
    सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था

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